Sunday, January 5

यार







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एक अरसा हुआ तुमसे बाते किये हुए 

वो चाय की टपरी पे 2 कश साझा किये हुए 
एक मुद्दत से हमने ये भी नही पुछा की 
"तेरी वाली " कैसी है 
याद करने बैठूं तो कभी कभी यकीन नही आता 
की ये मेरा ही गुज़रा हुआ कल है 



कुछ numbers खो गए थे मुझसे जब phone root किया था 
इंतज़ार है की FB से sync होकर कब मिलेंगे 
वैसे साले तूने भी तो तो शादी का event invite ही भेजा था 
और मुझसे बोलता है की मै बदल गया हूँ 

deadlines की दुनिया मे life कुछ dead ही हो गयी है 
कभी मिलो तो उन्ही disposal मे बर्फ के साथ गम गलाते है 
साथ मे तुम्हारी मूंग दाल भुजिया भी माँगा लेंगे 
उसके बिना तुम्हे चढ़ती भी तो नही है 

भुला नही हूँ तुम्हे बस दुनिया की भाग दौड़ मे 
कही पीछे न छूट जाऊ इस लिए ठेहर कर बात नही कर पाता 
बस इस lap के बाद मेरा इंतज़ार करना 
हम फिर से चाय की चुस्कियों के साथ बाते करेंगे 
-- प्रियदर्शी 


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